महाभारत के एक प्रसंग में विदुर ने धृतराष्ट्र से कहा था, “आशा बलवति राजन्” अर्थात आशा बलवान होती है, और मनुष्य को सदा आशा का आलंबन लेना चाहिये। नैराश्य के क्षणों में यह ज्ञान निश्चित रूप से सहायक सिद्ध होता है, क्योंकि मूलतः हम सब आशा के प्राणी है, हर सांस को छोड़ते ही हैं इस आशा के साथ कि शरीर अगली सांस लेने में भी सक्षम होगा. . .
हर महापुरुष के जीवन से हमें यही सीख मिलती है कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, आशावान रहना चाहिए, और क्यों न रहें हम आशावादी? वस्तुतः आशा ही तो हमारे जीवन का आश्रय बनती है उन पलों में जब आँखों के आगे अँधेरा छा जाता है। हम यह मानना चाहते हैं कि यह क्षण अच्छा न था लेकिन अगला अवश्य सुखद होगा, आज का दिन अशुभ रहा, लेकिन कल का प्रभात अपने साथ आनंद लाएगा. . .
आने वाला समय एक द्यूत क्रीड़ा है, एक जुआ जिसका पलड़ा किसी भी दिशा में झुक सकता है, परंतु हम यही मानना चाहते हैं कि वो हमारे पक्ष में झुकेगा। लेकिन दुर्भाग्यवश, जीवन की इस द्यूत क्रीड़ा में हमारे पास शकुनि वाले पासे नहीं है।
बच्चन की एक कविता की कुछ पंक्तियां यूँ हैं,
इस पार प्रिये मधु है तुम हो,
उस पार न जाने क्या होगा?
कर्मकांड और पूजा पाठ भी तो हम इसीलिए करते हैं क्योंकि हम एक अच्छे कल की इच्छा रखते हैं? मैंने ज्योतिष पढ़ा है, कुण्डलियाँ भी बांचता हूँ, और बड़े ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखूं तो यही जान पड़ता है कि ज्योतिष का भी आधार आशा में ही है। निरंतर, सतत प्रयास जिससे मनुष्य अपने वर्तमान और भविष्य को सुधार सके. . .
लेकिन क्या आशा एक भ्रामक कल्पना मात्र है? क्या हमें सत्य से विमुख कर देती है? मेरे विचार में हाँ भी और ना भी। आशावान होने और अति आत्मविश्वासी होने के बीच अंतर बहुत थोड़ा है, आशावादी व्यक्ति सकारात्मक रहते हुए भी स्वयं से सदैव सत्य बोलता है। जो व्यक्ति स्वयं से झूठ बोले, वही अति आत्मविश्वास का रोगी है।
क्योंकि सबसे बड़ा तप यदि कोई है तो वो सत्य की उपासना है। और सत्य न कड़वा होता है, न मीठा। सत्य, सत्य होता है, उसका स्वाद जो हमें अनुभव होता है वो हमारी प्रतिक्रिया है, सत्य हमारी कई आशाओं को डुबो देता है, कई सपनों के गले प्रतिदिन घोंटता है।
पाश ने हमें बताया कि सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना। लेकिन मेरे विचार में उससे भी अधिक खतरनाक होता है मरे हुए सपनों को मुखाग्नि न देना, उनको बनाए रखना इस आशा में कि वो मृत सपने संजीवनी का पान कर पुनः जाग्रत होंगे। ऐसे सपने, ऐसी इच्छाएं जो हमें केवल दुःख दें, जलते हुए मकान के भांति त्याग देने योग्य हैं। और ऐसे व्यक्ति जिनसे हमें केवल पीड़ा और अपेक्षा मिले, हमारे प्रेम के पात्र नहीं हो सकते। ऐसे व्यक्तियों के सन्दर्भ में भी सपने देखना खतरनाक है।
आशा शर्करा के समान है। त्वरित सुख तो प्रदान करती है पर उसका निरंतर, निरंकुश पान मधुमेह जैसे भयावह रोग को जन्म देता है। सत्य एक कटु औषधि है, जिसका अंतिम परिणाम आयुष्य ही है।
हाँ, पर आवश्यकता पड़ने पर, कभी- कभी अल्प मात्रा में आशा का उपयोग भी किया जा सकता है, लेकिन वो आशा सच से विरोध न करती हो बस, इतना ध्यान रहे।
तो हम इसी निष्कर्ष की ओर पहुंचे कि जीवन एक संघर्ष है, बिना सहायता के काट पाना कुछ कठिन है। आशा एक सहारा हो सकती है, लेकिन उसे बैसाखी न बनाएं अन्यथा कदाचित हम पुनः अपने पैरों पर खड़े न हो पाएं। सत्य अपने स्थान पर प्रतापी होकर स्थित है। हम उसे मध्यान्ह का सूर्य मानकर उससे द्वेष कर सकते हैं या पूर्णिमा के चंद्रमा के समान उसे स्वीकार, चुनाव हमें करना है।
सत्य आशा का नाश भी करेगा, और कहीं कहीं निराशा को भी जन्म देगा, परंतु नैराश्य में अपना अलग सुख भी तो है. . . कहा भी गया है “त्यागाछांतिनिरन्तरम्“- अर्थात सबकुछ त्याग देने में निरंतर शांति का अनुभव है, और यदि भविष्य में हम असफल हुए, तो पीड़ा कम ही होगी. . .
खुसरो ने कहा था- सखी पिया को जो मैं न देखूं, तो कैसे काटूं अँधेरी रतियां?
पर इसका क्या विश्वास कि सखी पिया हमें दर्शन देगी ही? सत्य तो यही है कि हर दिन की तरह आज भी अटरिया को तकते तकते हम थक के सो जाएंगे।
हाँ, पर एक चेतावनी- निराशा का सागर बहुत आकर्षक और गहरा है, यत गत्वा न् निवर्तन्ते– वहां एक बार प्रवेश करने के उपरांत केवल एक ही दिशा में डूबते चले जाना है. . . और इसी नैराश्य में हम कई बार अपनी वास्तविक ऊर्जा, शक्ति और बल से विस्मृत हो जाते हैं जैसे रामायण में हनुमान। हनुमान के पास तो जामवंत थे जिन्होंने समय आने पर आंजनेय को उनकी शक्तियों का भान करा दिया, लेकिन शायद हमारे जीवन में ऐसा कोई न हो। हमें स्वयं ही अपना जामवंत बनना पड़े!
यह लेख मेरी अच्छी दोस्त, सुरभि करवा को समर्पित है। कल उन्होंने ट्विटर पर नाउम्मीदी पर कुछ लिखा था। “आशा” करता हूँ उन्हें यह लेख अच्छा लगेगा, लेकिन “सत्य” तो यह है कि शायद पसंद न आए!
पढ़ने के लिए धन्यवाद!
और हाँ, दीपवाली की अनेकों बधाई!
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